संक्षिप्त बिंदु
- बारा जिले के सिमरा में जन-ज़ेड युवाओं और सीपीएन-यूएमएल (ओली के निकट) कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें हुईं।
- स्थानीय प्रशासन ने सार्वजनिक सुरक्षा के लिए 1 बजे से शाम 8 बजे तक कर्फ्यू लगाया।
- झड़पों में कम से कम 10 लोग घायल हुए; इसमें प्रदर्शनकारी और सुरक्षा कर्मी शामिल बताए गए हैं।
- घटनाएँ उस इलाके में दो दिन लगातार हुईं; Gen-Z के नेता ने आरोप लगाया कि कुछ UML कार्यकर्ताओं ने उन्हें और समर्थकों पर हमला किया।
- यह घटनाक्रम सितंबर की व्यापक जन-आक्रोश और हिंसा के बाद की नाजुक स्थिति में आया है, जब बड़े स्तर पर दंगे और मौतें हुई थीं — मामला अभी जांच के दायरे में है।
- जब UML के वरिष्ठ नेता महेश बस्नेत और शंकर पोखरेल सिमरा आने वाले थे, Gen-Z के युवा पहले से ही एयरपोर्ट के करीब जमा हो गए थे।
- विरोध प्रदर्शन के बाद सिमरा हवाई अड्डे की उड़ानों को सुबह के कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा।
- पुलिस ने विरोधकारियों को तितर-बितर करने के लिए चार राउंड आंसू गैस छोड़ी

ख़बर (संक्षेप में)
- बारा के सिमरा इलाके में गुरूवार सुबह जन-ज़ेड समूहों और पूर्व प्रधानमंत्री के समर्थक माने जाने वाले सीपीएन-यूएमएल के कार्यकर्ताओं के बीच फिर रार हुई। स्थानीय समाचार एजेंसियों और समाचार संस्थाओं के मुताबिक़ इस टकराव में कम से कम 10 लोग घायल हुए — जिसमें प्रदर्शनकारी और सुरक्षा कर्मी दोनों हैं। प्रशासन ने सार्वजनिक जगहों पर कर्फ्यू लगा कर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की।
- झड़पों की शुरुआत उस समय हुई जब Gen-Z युवाओं ने सिमरा चौक पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया और वे कुछ UML नेताओं/कार्यकर्ताओं पर हमले का आरोप लगा रहे हैं। स्थानीय नेताओं के एक कार्यक्रम के दौरान दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए — घटनास्थल पर पत्थरबाजी और पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की की सूचनाएँ आईं, जिस पर प्रशासन ने कड़ाई से हस्तक्षेप किया। अधिकारियों ने कहा कि कर्फ्यू पुनः लागू किया गया ताकि आगे के गड़बड़ी और नुकसान को रोका जा सके।
- स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों और पुलिस रिपोर्टों के अनुसार घायल लोगों को प्राथमिक उपचार दिया गया; किन्तु अभी तक किसी की स्थिति गंभीर होने की अलग रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है। अधिकारी और स्थानीय नेता फिलहाल शांति कायम करने तथा आरोपियों की पहचान/गिरफ्तारी को लेकर बयानों में सक्रिय हैं।
निष्कर्ष
सिमरा में जारी यह टकराव सिर्फ़ एक स्थानीय झड़प नहीं है, बल्कि नेपाल में युवा जन (Gen-Z) और स्थापित राजनीतिक ताकतों के बीच बढ़ती असंतोष की एक बड़ी कहानी का हिस्सा है। Gen-Z प्रदर्शनकारियों की मांग है कि वे अपने आरोपों में नाम्जद UML कार्यकर्ताओं की सज़ा देखना चाहते हैं — और जब तक यह न हो, वे शांत नहीं बैठेंगे। दूसरी ओर, प्रशासन कर्फ्यू और सुरक्षा तैनाती के ज़रिए हालात नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है। ये घटनाएँ मार्च 2026 के चुनावों के करीब आने के साथ और अधिक महत्त्व लेती दिख रही हैं, क्योंकि युवा शक्ति सिर्फ़ विरोध करने के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक भविष्य में शामिल होने की भूमिका भी मांग रही है।


