
स्रीनगर के कुंदरू मोहल्ला क्षेत्र में हुए अचानक बमब्लास्ट ने न सिर्फ इलाके में अफरा-तफरी मचा दी, बल्कि सुरक्षा व्यवस्थाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। घटना ठीक उस समय हुई जब इलाके में सामान्य भीड़भाड़ थी और पुलिस की रूटीन चौकसी जारी थी। सरकार ने इसे मामूली विस्फोट बताया, पर स्थानीय लोगों का दावा है कि धमाका कहीं ज़्यादा शक्तिशाली था। आधिकारिक जानकारी और ज़मीनी गवाहियों में अंतर ने इस घटना को गहराई तक विवादों में झोंक दिया है।
बम फटा, लेकिन सच क्यों नहीं?” — सरकारी बयान पर सवालों की बौछार
सरकार ने कुछ ही मिनटों में बयान जारी कर दिया कि धमाका “लो-इंटेंसिटी” था और स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन स्थानीय दुकानदारों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि धमाके की आवाज़ इतनी तेज थी कि आसपास की खिड़कियाँ तक हिल गईं।
एक जांच अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर चौंकाने वाला बयान दिया:
“अगर पूरी रिपोर्ट सामने आ जाए, तो कई लोग जवाब नहीं दे पाएंगे। इसलिए चीजें कंट्रोल्ड तरीके से बाहर आ रही हैं।”
लोगों ने इस बयान को सरकार की कथित ‘सच दबाने की आदत’ से जोड़ते हुए जमकर गुस्से का इज़हार किया।
धमाके की असली कहानी क्या है?” — जमीनी स्तर की जानकारी
- विस्फोट कुंदरू मोहल्ला–नौहट्टा लिंक रोड पर हुआ, जहाँ रोज़ाना भारी भीड़ रहती है।
- घटनास्थल पर मिले मेटल शार्पनेल से संकेत मिला कि यह क्रूड IED था।
- शुरुआती जांच में दावा—डिवाइस किसी मोटरसाइकिल या छोड़े गए बैग में प्लांट किया गया था।
- दो नागरिक घायल बताए गए, लेकिन स्थानीय लोग अधिक संख्या का दावा कर रहे हैं।
- कुछ CCTV कैमरे धमाके के दौरान “तकनीकी खराबी” से बंद—लोगों को यह संदेहास्पद लगा।
- घटनास्थल पर सुरक्षा पहुंचने में देरी—10 मिनट तक इलाके में पूर्ण अराजकता।
“विस्फोट सिर्फ कुंदरू मोहल्ला की सड़क पर नहीं… जनता के भरोसे पर भी हुआ है”
यह विस्फोट कुंदरू मोहल्ला की सड़क पर कम, जनता के भरोसे पर ज्यादा हुआ है। हर बार की तरह इस बार भी आधी जानकारी, अधूरे बयान और सरकारी चुप्पी ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया है। अगर सरकार सच में पारदर्शिता का दावा करती है, तो उसे बिना फिल्टर पूरी रिपोर्ट देश के सामने रखनी चाहिए—क्योंकि अब जनता सिर्फ जवाब नहीं, जवाबदेही चाहती है, और यह मांग अब रुकने वाली नहीं है।


